रिचा कमरे से निकल कर बालकनी में आकर खड़ी हो गई। ठंडी ठंडी हवा चल रही थी। वह चुपचाप गुमसुम खड़े होकर सामने दूर तक फैली बस्ती और उसके दूसरी तरफ प्रहरियों की भांति खड़े हरे-भरे खूबसूरत पर्वत शिखरों को निहारने लगी।
मौसम सुहाना हो रहा था। आसमान में बादल हो रहे थे। बदली छाई थी और बर्फबारी के आसार लग रहे थे। फरवरी-मार्च के इस महीने में शिमला में अक्सर ही बर्फ गिरती है। सर्द मौसम की वजह से रिचा को हल्की हल्की कंपकंपी सी छूटने लगी। सामने सड़क पर बहुत सारे बच्चे नौजवान इस खुशनुमा मौसम का आनंद लेने के लिए इकट्ठे हैं। छोटे-छोटे बच्चे, रंग बिरंगे स्वेटर जैकेट पहने,पैरों में जूते-मोजे और सिर पर गोल टॉप कसे उछलकूंद करने में मस्त हैं।
कुछ नौजवान लड़के अपने दोस्तों के साथ हंसी मजाक करते, गर्म चाय और कॉफी की चुस्कियां ले रहे हैं। सड़क के दूसरी तरफ, पार्क के किनारे पड़ी बेंचो पर दो तीन नौजवान जोड़े एक दूसरे में खोए हुए हैं। इस हसीन मौसम की हर एक अदा का लुत्फ ले रहे हैं। जिंदगी की रवानी का आनंद ले रहे हैं, अपनी जवानी का आनन्द ले रहे हैं।
“पर मेरी जिंदगी में खुशी कहां?” अनायास ही रिचा के मुंह से आह निकली, “सब अपना अपना भाग्य”।
ऐसा नहीं है कि रिचा अभी विवाह करना नहीं चाहती। पढ़ाई तो सिर्फ एक बहाना है। उसके पापा उसके लिए चार-पांच साल से अच्छा रिश्ता ढूंढ रहे हैं। जब वह सत्रह अठारह साल की थी तभी से। पहले वह शादी करना नहीं चाहती थी क्योंकि उसे सचमुच पढ़ना था और वह छोटी भी थी,लेकिन आज वह तेईस साल की हो चुकी है। उसे भी एक साथी की जरूरत महसूस होती है। उसके घर का माहौल ऐसा नहीं है कि वह एक बॉयफ्रेंड बनाकर उसके साथ घूम सके और न ही उसका खुद का मन, उसके खुद के संस्कार, स्वच्छंदता और अनैतिक आचरण की अनुमति देते हैं। पर बहुत से अच्छे रिश्ते मिलने के बाद भी उसे शादी के लिए मना करना पड़ता है। क्यूँ?
क्योंकि सच्चाई तो यह है कि वह किसी से प्रेम करती है और उसका प्रेम सिर्फ प्रेम नहीं है, विष का प्याला है। एक ऐसे विष का प्याला, जिसके बिना भी उसकी मृत्यु है और जिसके पी लेने पर भी उसकी मृत्यु है।
सर्दी बढ़ गई थी। कुछ ही क्षणों पश्चात बर्फ गिरने लगी। सफेद रुई जैसे बर्फ के फाहे धीरे-धीरे आसमान से गिरने लगे और चारों तरफ खुशनुमा नजारा हो गया। ऋचा ने वितृष्णा से आसमान की तरफ देखा। मौसम की यह खूबसूरत रंगत एक समय उसे कितनी पसंद थी। हौले हौले से हवा का चलना, आसमान से सफेद रुई के फाहों की तरह बर्फ का बरसना और उसका खुले आसमान के नीचे अपनी दोनों बाहें फैलाकर, झूम-झूमकर बर्फबारी का मजा लेना।
मगर यह सब दो साल पहले तक ही था, जब तक कि उसे प्रांजल नहीं मिला था।
प्रांजल,जो ठंडी हवा के एक झोंके की तरह बिन बुलाए ही उसकी जिंदगी में चला आया था, अचानक। और फिर एक खट्टा मीठा सा एहसास बनकर हमेशा के लिए उसके दिल में थम गया।