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शब्दभाव की लहरें

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मानव जीवन भाव केन्द्रित है। माँ का अपने शिशु के प्रति ममत्व भाव हो अथवा एक सैनिक का अपने देश के प्रति समर्पण भाव, किसी जीव के प्रति दया करुणा का भाव हो या एक प्रेमी का अपनी प्रेयसी के लिए प्रेम भाव, सम्पूर्ण विश्व में विभिन्न भाषाओं में इन्हीं भावों को शब्दों के माध्यम से एक सूत्र में पिरो कर काव्य का निर्माण किया जाता रहा है। भारत देश में भी काव्य का इतिहास अत्यंत समृद्ध है जिसके बारे में हम परिचित हैं, फिर वो तुलसीदास जी से लेकर मीरा बाई जी हों या दुष्यंत कुमार जी से लेकर गोपाल दास ‘नीरज’ जी। मनुष्य मस्तिष्क विभिन्न कल्पनाओं का स्रोत रहा है, जब इन्हीं कल्पनाओं को भाव और शब्दों का साथ मिलता है तो वह एक कविता के रूप में हम सब के सामने आती है। प्रस्तुत संकलन वर्तमान में युवा रचनाकारों के कविता प्रेम को ध्यान में रख कर प्रकाशित किया गया है। सम्पूर्ण भारत में वर्तमान में अनेक युवा हिंदी लेखन के प्रति आकर्षित हुए हैं, वह ना सिर्फ विभिन्न काव्य पाठ के आयोजनों में शामिल होते हैं अपितु वह अपने लेखन को अन्य सामाजिक माध्यमों से पाठकों तक पहुँचाते रहते हैं। ऐसे युवा कवि अथवा कवयित्री विभिन्न भावों को कल्पना और वास्तविकता की डोर में शब्द रूपी सुगन्धित पुष्पों-सा पिरो कर नित प्रतिदिन कविता को सार्थक स्वरुप प्रदान करते रहते हैं। कुमारी पूर्वी गोलछा जी ने इन्हीं युवाओं को एक साथ लाने का प्रयास इस पुस्तक के माध्यम से किया है। संकलन में शामिल प्रत्येक रचनाकार की कविता शब्दों के माध्यम से अपने भाव आप तक पहुँचाने में सफल होगी, इसी आशा के साथ यह पुस्तक ”शब्दभाव की लहरें – काव्य सरिता की लहरों का संकलन" हम आपको समर्पित करते हैं।
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