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आप्तवाणी-१४(भाग -१)

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प्रस्तुत पुस्तक में आत्मा के गुणधर्मो का स्पष्टिकरण (खुला) किया गया हैं, और उन कारणों की भी पहचान कराई गई हैं, की जिनके कारण हम आत्मा का अनुभव प्राप्त करने में असमर्थ रहें हैं | पुस्तक को दो भागों में विभाजित किया गया हैं | पहले भाग में ब्रह्मांड के छ: अविनाशी तत्वों का वर्णन, विशेषभाव (मैं), और अहंकार की उत्त्पति के कारणों का विश्लेषण किया हैं | आत्मा अपने मूल स्वाभाव में रहकर, संयोगो के दबाव और अज्ञानता के कारण एक अलग ही अस्तित्व(मैं) खड़ा हो गया हैं |"मैं यह फर्स्ट लेवल का और "अहम्" यह सेकंड लेवल का अलग अस्तित्व हैं | राँग बिलीफ जैसे कि "मैं चंदुलाल हूँ"," मैं कर्ता हूँ" उत्पन्न (खड़ी) होती हैं और परिणाम स्वरुप क्रोध-मान-माया और लोभ ऐसी राँग बिलीफ़ो में से उत्पन्न हुए हैं | "मैं चंदुलाल हूँ" यह बिलीफ सभी दुखों का मूल हैं | एक बार यह बिलीफ चलीजाए ,तो फिर कोई भी दुःख नहीं रहता हैं |
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